Thursday, February 28, 2008

छोटे -छोटे सहरों से हम तो झोला उठाकर चले । आज चाहे इलाहाबाद का निखिल चतुर्वेदी फिल्मों मे हीरों तो बीकानेर का संदीप इंडियन आइडल हो गया । शिव शंकर चौरसिया गोल्फ विजेता बना तो गाँव-कस्बों के किसानों ने महेन्द्र सं टिकेट के साथ मिलकर देल्ही हिला दी । चाहे खेल का मैदान हो ,बिजनेस या इंजीनिरिंग हो ,राजनीती का अखाडा हो या कला का मंच । हर एरिया मे इन छोटे सहरों और गाँव कस्बों के बंटी और बब्लीओं ने अपनी उपस्तिथि दर्ज कराई है । प्रवीण कुमार समाज मे आ रहे इन बदलावों का एक प्रतीकात्मक चेहरा हैं।

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