Monday, February 11, 2008
हम चुप हैं ।
बर्तन होटल पर धोता है ,फटे कपड़ो में सोता हैवो किसी और का बेटा है ,इसलिए हम चुप है।सड़को पर भीख मांगती है ,और मैला सर पे है।वह बहन किसी और की है ,इसीलिए हम चुप है।बेटी की इज्जत लुट जाने पर भी वो बेबस कुछ न कर पाती है ।वो माँ है किसी और कि इसीलिए हम चुप हैं ।दिन भर मजदूरी करता है, फिर भी भूखा सोता है ।किसी और का भाई है वो ,इसीलिए हम चुप है ।बेटी का दहेज जुटाने को ,कितने समझोते करता हैवह किसी और का बाप है ,इसलिए हम चुप हैं ।चुप रहना हमने सीख लिया है ,बंद करके अपने होंठो को ।और जीना हमने सीख लिया है ,बंद कर के अपने होंट को ।लकिन याद रखो दोस्तों ,एक ऐसा दिन भी आयेगा ।अत्य्चार हम पे होगा ,और तब हमसे बोला न जाएगा ।क्योंकि हम चुप हैं ।गौतम यादव , भारतीय जनसंचार केन्द्र ,नई देहली
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25.1.08
धरत राष्ट्र के अनुयायी
हम भारतीय अपनी परम्पराओं का पालन बढ़ी ईमानदारी के साथ करते हैं .भाई इसी से तो हमारी संस्कृति इतनी महान है.जरा सोचिएगा अगर धरत राष्ट्र पुत्र मोह में नही पड़ते तो महाभारत कैसे होता और भारतीय संस्कृती का इतना महान ग्रंथ कैसे लिखा जाता ।इसी परम्परा को अब हमारे नेता बढ़ी निष्ठा के साथ निभा रहें हैं । भारत मेँ अनेक धरत राष्ट्र पैदा हो गए हैं .पुत्र मोह परम्परा के लिए मराठी शेर बल ठाकरे ने तो पार्टी ही तुड़वा ली .अपने देव गोड्डा साहब ने तो बेटे के चक्कर में पार्टी का घनचक्कर ही बना दिया है .बेटे कुलदीप विस्नोई खातिर अपने भजन करने के दिनों मेँ भजनलाल ने कांग्रेस छोड़ कर नई पार्टी ही बना डाली .उधर शरद पंवार के खेमे से भी खबर आ रही है कि भतीजा अजित पंवार ख़म ठोंक सकता है .लकिन इस परम्परा को निभाने का स्वर्ण पदक मिलेगा हमारे माननीय कलिग्नार करुनानिधि जी को ,इन साहब ने तो परम्परा के लिए अपने भांजे को केन्द्रीय मंत्री के पद से सीधे जमीन पर ला पटका .बहरहाल संतोष है कि अब आने वाली जनरेशन के लिए अनेक महाभारतों की सम्र्द्साली विरासत तो छोड़जायेंगे।गौतम यादव भारतीय जनसंचार संस्थान ,नईदिल्ली gautamyadav420@gmail.com
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24.1.08
जुगाड़ सास्तर
यह सही है कि अभाव मेँ एक अलग किस्म की रचना शक्ति को जनम देता है.उसका नाम है जुगाड़ .और यह कला हम भारतियो मेँ कूट कूट कर भरी हुई है.हमने एक बार फिर साबित कर दिया कि जुगाड़ सास्तर के हम सबसे बडे कलाकार हैं ।कहीं कि ईंट कही का रोड़ा कि तर्ज पर बना डाली दुनिया कि सबसे सस्ती कार .पूरी दुनिया हमारा मुहं तकती रह गयी ।पर बेचारे दुनिया वाले क्या जाने कि जुगाड़ एक ऐसी कला है जिसे हम भारतीय बचपन से ही एक अतिरिक्त योग्यता के रूप मेँ सीखते हैं .अब चाहे पेपर मेँ पास होने के लिए 'नक़ल' , किराया बचाने के लिए' रेल की छत पर बैठकर सफर करना',शादी के लिए 'कुंडली' का जुगाड़, झमेले से बचने के लिए' रिश्वत 'का ,या फिर नोकरी पाने के लिए सोर्स का जुगाड़ हो । इस कला मेँ हम पारंगत हो जाते हैं ।अब बाकी दुनिया जले तो जले .उसकी बला से .पर एक लाख की कार तो भारतीय इंजिनियर ही बना सकते है न .भाई ,एक अतिरिक्त गुण जो दिया है उपरवाले ने.
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