Wednesday, March 5, 2008

अन्धविश्वाश को रोकना ही होगा

आप कहते हैं की यह ग़लत नही है। मैं कहता हूँ की यह बहुत ग़लत है। क्या सिर्फ़ कम का हो जाना ही सही है?क्या उसके तरीकों की शुचिता का ध्यान नही रखा जाना चाहिए? ठीक है की मन्दिर के निर्माण के लिए महिलाओं से उपलों की जरूरत थी और इस जरूरत के लिए अन्धविश्वाश का सहारा लेने से काम हो गया। पर इससे क्या ये खतरा नही पैदा होता की ऐसे ही किसी ग़लत काम के लिए भी भोली भली महिलाओं को बहकाया जा सकता है?क्या ये जरूरी नही है की उन लोंगो को जागरूक बनाया जाए जो धार्मिक अन्ध्विश्वाशों में फंसकर कई बार ग़लत कदम उठा बैठतें हैं?ठीक है की एक बार काम हो गया लेकिन इससे सबसे बड़ा खतरा जो पैदा होता है वो ये है की इस तरह से उन सभी लोंगो को बहकाया जा सकता है और उनकी भावनावों का ग़लत फायदा उठाया जा सकता है। इससे बचा जाना चाहिए।

1 comment:

KAMLABHANDARI said...

avnishji ye to saraasar bhole- bhaale logo ki bhavnaao se khalna hai .is tarha ki ghatnaao ke khilaaf aawaz uthaani hi hogi nahi to ye ghatnaaye yu hi badhti rahengi aur inhe karne waalo ka saahash aur bhi badh jaayega.
aapke blog pae pahli baar aai hun par bahut accha laga aage bhi aati rahungi.

kamlabhandari.blogspot.com